Friday, 17 August 2012

सफरनामा


आओ आओ एक मज़े की बात बताऊँ...

आपको हम सबसे मैं मिलवाऊं ...

अलग अलग जगहों से आये हैं हम,

अपने साथ छोटा भारत लाये हैं हम...

मिश्री सी है जिनकी बोली, वो मिशिक हैं.. असम से,

प्रशासनिक मामलों में इनकी पकड़ है बेहद अच्छी..... कसम से...

अपूर्व है जिनकी सोच और, जो बच्चों के सेहत और पोषण का करतीं हैं बेहद ख्याल,

उज्जैन है जिनका निज धाम, अपूर्वा है उनका नाम,

पहाड़ों से हैं जिनका नाता, सामाजिक सरोकारों से है जिनका काम,

अलका है उनका नाम,

झारखण्ड के विद्यालयों से पढ़ लिखकर चले आये वे मद्रास,

सभी बातों को देखने का नजरिया है जिनका खास,

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में करेंगे काम राकेश है जिनका नाम.

बिहार के एक गाँव से आया हूँ, साथ अपने

जामिया और सी.आई.ई. के कुछ अनुभव लाया हूँ

कृष्ण कुमार, जानकी राजन, फरहा फारुखी, फरीदा खानम, जावेद हुसैन ये हैं कुछ खास नाम,

जिनके सानिध्य में जाना है मैंने शिक्षा का सही आर्थ और पाया है ये मुकाम...

ये तो थी बातें हमारी... सुनिए अब आगे की कथा न्यारी...

सुरम्य राहों से होकर हम पहुंचे देहरादून,

डालनवाला के कार्यालय में हुआ स्वागत, कहा गया देखो देखो आये नवागत..

अलग अलग माध्यमों से बताया गया

हमें उत्तरकाशी और उत्तराखंड का भौगोलिक विस्तार,

समझाया गया कैसी कैसी हैं सम्यस्याएं अपार.

जिला और राज्य केन्द्रों की मिली जानकारी

कैसे केल्प (C A L P) ने सुझाया है एक विकल्प

लर्निंग गारंटी और E L M से हुए अध्यापक और स्कूल से बेहतर,

सामुदायिक पुस्तकालय से आया समाज “हमारे” निकटतर,

बाल शोध मेले और बाल चौपाल की बात है न्यारी

नन्हें हाथों की देखी हमने कलाकारी...

C C E, E L M और R T E जैसे शब्दों से हुआ एक नया परिचय,

N C F ने बहुत लुभाया,

देश की शैक्षिक समस्याओं के लिए उपाय सुझाया.

कहने को तो हैं बातें कई और अभी तो सामने हैं राहें नयी ....

                                 चन्दन झा

1 comment:

  1. YAAR APNE ANUBHAV KO KAVITA KE JARIYE AAP HI RAKH SAKATE HO.GIYO MERE SHER

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