क्यों?? आखिर क्यों??
चारों तरफ मचा है,
हाहाकार,
क्यों सुनाई दे रही है ये चीत्कार!!
क्यों? और कब होतें रहेंगे ये धमाके?
देश देगा कुर्बानियाँ कितनी बार?
आज मानवता की यही पुकार,
मिटे नफरत और बढे प्यार.
कभी संसद, कभी गोधरा,
देश बँटेगा कितनी बार?
आज मानवता की यही पुकार........
है हाथ में डिग्री, मन में आकांछा,
फिर भी क्यों हैं युवा बेरोजगार ??
वोट के बदले नोट, क्यों बदल रहे जनाधार?
चारों तरफ है फैला भ्रष्टाचार,
कहाँ खो गए गाँधी और नेहरु के विचार?
क्यों मानव नहीं करता मानवता से आज प्यार?
सोने की चिड़िया कहलाने वाली,
के क्यों हुए ऐसे ऐसे कुलांगार?
जिससे देश हुआ ऋणी,
और रिक्त हुआ कोषागार I
मानवता का पाठ पढाने वाले देश में,
क्यों फैला नफरत का बाज़ार?
आज मानवता की यही पुकार
मिटे नफरत और बढे प्यार I
चन्दन झा
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